"ख़ैरात" में मिली ख़ुशियाँ, हरगिज़ हम गवारा नहीं करते...,
और उन्हें कह दो, एक ही मोहब्बत को हम दोबारा नहीं करते !
"Khairat" mein mili khushiyan, hargiz hum gawara nahin karte...,
Aur unhen kah do, ek hi mohabbat ko hum dobara nahin karte !
- ख़ैरात - भिक्षा, दान, उपकार
- हरगिज़ - कदापि, कभी, कतई या बिल्कुल नहीं
- गवारा - स्वीकार, मानना, क़बूल करना
- Article By. Dharm_Singh

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