ना मंज़िल है ना मुक़ाम है, फ़िर भी मैं चलता ही जा रहा,
ये जीवन महज़ बर्फ़ के समान, जो पिघलता ही जा रहा !
Na manzil hai na muqam hai, fir bhi main chalta hi ja raha,
Yeh jeevan mahaz barf ke saman, jo pighalta hi ja raha !
- मंज़िल - पड़ाव, मुक़ाम, ठिकाना, विश्राम स्थल, गंतव्य स्थान
- मुक़ाम - ठहरने का स्थान या जगह, ठहराव, घर
- महज़ - केवल, सिर्फ़, मात्र, निरा, निर्मल, खालिस
- Article By. Dharm_Singh
0 टिप्पणियाँ