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Janaza sad shayari...

Janaza_sad_shayari


पुछकर वो मेरे घर का पता दरवाजे पर भी नहीं आया,
वक़्त बेवक़्त आने वाला वक़्त के तक़ाज़े पर भी नहीं आया,
दम निकला मेरा जिस हरजाई की चाहत और हसरत में,
मेरे आख़िरी दीदार को वो मेरे जनाज़े पर भी नहीं आया !

Puchhkar woh mere ghar ka pata darwaje par bhi nahin aaya,
Waqt bewaqt aane wala waqt ke taqaaze par bhi nahin aaya,
Dum nikla mera jis harjai ki chahat aur hasrat mein,
Mere aakhiri deedar ko woh mere janaze par bhi nahin aaya !



  • वक़्त-बेवक़्त - समय-कुसमय, कभी भी, कबहु, मौक़ा-बेमौक़ा
  • तक़ाज़ा - तगादा, मांगना, इच्छा, पावना
  • हरजाई - कुलटा, व्यभिचारिणी स्त्री, वेश्या, रंडी
  • हसरत - कामना, वासना, लालसा, अभिलाषा, ख्वाहिश
  • दीदार - दर्शन, साक्षात्कार, मुलाक़ात, देखना, दीद

  • Article By. Dharm_Singh

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