तारीफ़ क्या करूँ, मेरे महबूब तेरे हुस्न-ओ-शबाब की,
रंगत फ़ीकी लगती है, सामने तेरे खिलते गुलाब की !
Tareef kya karoon, mere mahboob tere husn-o-shabab ki,
Rangat feekee lagti hai, saamne tere khilte gulab ki !
- तारीफ़ - प्रशंसा, बड़ाई, बखान, परिचय, वर्णन, विवरण
- हुस्न-ओ-शबाब - सुन्दरता और जवानी, सौन्दर्य और तरुणाई
- रंगत - हालत, दशा, झलक, रंग, रंग से युक्त होने का भाव
- Article By. Dharm_Singh
0 टिप्पणियाँ