मेरी वफ़ा को ठुकराने वाले, अब तू ज़माने को भी आज़माकर देख ले,
कौन मरता है तेरे संग, तू अपनी मौत की झूँठी ख़बर फैलाकर देख ले !
Meri wafa ko thukrane wale, ab tu zamane ko bhi aazmakar dekh le,
Kaun marta hai tere sang, tu apni maut ki jhoonthi khabar failakar dekh le !
- Article By. Dharm_Singh
1 टिप्पणियाँ
गर मैं लिख ना सकूँ एहसास-ए-दिल कभी..
जवाब देंहटाएंक्या फिर भी मुझे यूँ ही पढ़ सकोगे तुम..?
मैं हो जाऊं जो कभी बेजुबां अगर..
मेरी ख़ामोशी की जुबां सुन सकोगे तुम.?
मेरे लरजते होंठो पर जब लफ्ज़ दम तोड़ने लगे,
क्या उस वक्त, मेरी आवाज़ बन सकोगे तुम ?
मेरी सिसकियों में घुट रही होंगी जब हसरतें मेरी,
पोंछकर आँसूं क्या मुझे सम्भाल सकोगे तुम.?
मेरे अश्क़ करेंगे बयां जब "दास्तान-ए-सांझ",
क्या उस बेबसी को महसूस कर सकोगे तुम.?
हैं अगर मुमकिन, ये सभी सवाल मेरे..
तो क्या इनके जवाब दे सकोगे तुम..?