हसरत ही नहीं आरज़ू भी थी, कि मोहब्बत में हम हद से गुज़र जायेंगें,
अफ़सोस... कभी ना सोचा था, बेवफ़ाई लिखते-लिखते गुज़र जायेंगें !
Hasrat hi nahin aarzoo bhi thi, ki mohabbat mein hum had se guzar jayengen,
Afsos... kabhi naa sochaa tha, bewafai likhate-likhate guzar jayengen !
- हसरत - कामना, वासना, अभिलाषा, लालसा, इच्छा, चाह, दिली ख़्वाहिश, अरमान
- आरज़ू - चाहत, तमन्ना, वांछा, इश्तियाक़, ख़ाहिश, मुराद, आशा, उम्मीद
- हद - सीमा, किनारा, मर्यादा, पराकाष्ठा
- अफ़सोस - दुःख, खेद, ग़म, रंज, शोक, सदमा, निराशा, पछतावा, पश्चाताप
- बेवफ़ाई - कृतघ्नता, बैमुरौवती, धोखा, विश्वासघाती, निष्ठाहीनता, बेऐतबारी
- Article By. Dharm_Singh
1 टिप्पणियाँ
मै कागज़ कलम लेकर बैठ जाती हूं
जवाब देंहटाएंसारे पुराने जख्म लेकर बैठ जाती हूं
यादों के पीछे-पीछे तुम आ रहे हो
यह झूठी भरम लेकर बैठ जाती हूं
मुश्किलों की आंच में मन पका हुआ
दिल पर सितम लेकर बैठ जाती हूं
हर शाम यादों के जाम लगा रहता है
मै एक-एक कदम लेकर बैठ जाती हूं
खुशी की बात है के मै ग़म लिखती हूँ
खुशी के साथ गम लेकर बैठ जाती हूं